Product Detail
 
Aasan: Arogyata ka Anupam Sadhan
ISBN No :
Price :
यह अखिल विश्व परमपिता के संकल्प मात्र से अस्तित्व में आया है। वह सर्वशक्तिमान है। उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं। यही वजह है कि सृष्टि की रचना, परिपालन व संहार आदि की प्रक्रिया में वह निरन्तर मौजूद रहता है तथा अनेकानेक रूपों में हर प्राणी व पदार्थ के रूप में वही लीलाधारी अभिव्यक्त हुआ है। किंतु मानव रूप में उसकी अभिव्यक्ति सर्वोत्कृष्ट रूप में हुई है। अनेक प्राचीन धर्म ग्रंथों में भी इस बात का उल्लेख है कि परमात्मा ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुरूप बनाया है और उसको कर्म करने का विशेष अधिकार देते हुए समस्त प्राणियों का सिरमौर बना दिया है। परमात्मा को विष्णु रूप में घट-घट व्यापी भी बताया गया है। इस दृष्टि से मानव शरीर परमात्मा का सर्वश्रेष्ठ मंदिर है जिसमें वह अपने निज स्वरूप में पूरी समग्रता से विराजमान है। अत: हमारा फर्ज है कि प्रभु के इस श्रेष्ठ मंदिर की सुरक्षा व पवित्रता बनाये रखने के लिए हम हर संभव प्रयास करते रहें। इसके लिए हमें अपनी आरोग्यता पर विशेष ध्यान देना होगा। क्योंकि नीरोग व्यक्ति ही धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष जैसे चारों महान पुरुषाथों की सिध्दि के लिए समुचित प्रयास कर सकता है। हमारे प्राचीन मनीषियों ने मानव शरीर की महिमा गाते हुए इसे नीरोग बनाये रखने के लिए भी सदा सचेष्ट रहने की सीख दी है। उन्होंने रोगों के इलाज के लिए अनेक प्रकार की औषधियों के उपयोग और रोगों से बचने के लिए पथ्य-परहेज आदि रोगोपचार की अनेकानेक विधियों पर भी पर्याप्त प्रकाश डाला है। लेकिन उन्होंने संयमित आहार-विहार करने वाले लोगों की विशेष प्रसंशा करते हुए उन्हें नियमित योगासन व प्राणायाम आदि की सहायता से आरोग्य लाभ करने की भी सलाह दी है। क्योंकि योगी और भोगी दोनों प्रकार के लोगों के लिए स्वस्थ रहना जरूरी है। जो मनुष्य नियमित रूप से आसनों का अभ्यास करते हैं, उनका शरीर सुगठित व सुडौल बन जाता है तथा उन पर रोगों का आक्रमण भी विफल हो जाता है। कई आसन तो इतने गुणकारी हैं कि उनके नियमित अभ्यास से असाध्य समझे जाने वाले रोगों पर भी काबू पाया जा सकता है। मैंने अपने जीवन में जिन सरल आसनों को आरोग्य लाभ के लिए विशेष उपयोगी पाया है, उन्हें लोगों को समझाने के लिए पूरे देश में भ्रमण करता रहता हूं और योग-आसन प्रशिक्षण शिविरों में लोगों को व्यावहारिक रूप से सिखलाया भी करता हूं काफी दिनों से लोग आग्रह कर रहे थे कि मैं आरोग्यता प्रदान करने वाले सरल आसनों वाली कोई पुस्तक प्रकाशित करूं। लोगों के आग्रह और आज के युग परिवेश को ध्यान में रखते हुए मैंने 'आसन : आरोग्यता का अनुपम साधन' नामक यह लघु पुस्तिका लिखकर 'सैटर्न पब्लिकेशन प्राइवेट लिमिटेड' को प्रकाशित करने के लिए दे दिया। प्रसन्नता की बात है कि प्रकाशक ने इस पुस्तिका को तत्परता से प्रकाशित कर पाठकों के लिए उपलब्ध करा दिया है। यह पुस्तिका हमारे पूर्व मनीषियों के स्वानुभूत प्रयोगों पर आधारित है। अत: इसमें मैं किसी प्रकार की मौलिकता व नवीनता का दावा नहीं करता। इसमें जो कुछ है अपने पुरखों की सनातन धाती है, जिसे मैंने आज के लोगों को समझाने का प्रयत्न मात्र किया है। इस विषय पर अनेक लब्ध प्रतिष्ठ योगियों व विध्दानों ने भी प्रकाश डाला है। किंतु बदलते युग परिवेश व पीढ़ी अंतराल की समझदारी में अंतर आने के कारण उन्हें समझ पाना आसान नहीं रह गया है। अत: उसे ध्यान में रखते हुए इस पुस्तक में चित्र सहित आसनों की विधियों को समझाने का प्रयास किया गया है। यदि इस पुस्तक के अनुशीलन से पाठकों व योग साधकों नेजरा भी लाभ उठाया तो मैं अपना परिश्रम सार्थक समझूंगा।
 
Shipping Country :
 

1. Books are available on Snapdeal.

2. You are  requested to mail on saturnpublications@gmail.com for all placed orders.

 
 
Last updated on 17-04-2024
Home :: Lord Shani :: Shani Sadhe Satti Dhaiya :: Shree Shanidham Trust :: Rashiphal :: Our Literature
Photo - Gallery :: Video Gallery :: Janam Patri :: Pooja Material :: Contact Us :: News
Disclaimer :: Terms & Condition :: Products
Visitors
© Copyright 2012 Shree Shanidham Trust, All rights reserved. Designed and Maintained by C. G. Technosoft Pvt. Ltd.