Product Detail
 
Antar Ke Pat Khol
ISBN No :
Price :
मनुष्य का मन हमेशा सुख की चाह में इधर-उधर भटक रहा है। मनुष्य के सारे प्रयत्न भी सुख प्राप्त करने की दिशा में ही होते हैं। ये सुख शारीरिक तथा मानसिक दो प्रकार से अनुभव किए जाते हैं। परन्तु प्रयत्नों के पश्चात भी दुख की प्राप्ति होती है, जबकि मनुष्य इस आशा से उपरोक्त प्रयत्न करता है कि अब उसे सुख निश्चित रूप से प्राप्त होगा। अत: असफल होने पर वह कभी अपने भाग्य को, कभी भगवान को, कभी ग्रहों को और कभी दूसरों को दोष देता है। इस स्थिति से बचने का एक ही उपाय है कि वह प्रयत्न करता रहे, क्योंकि यही उसके अधिकार में है और कर्म करने की क्षमता भी भगवान ने दी है। मनुष्य को सुख और दुख दोनों के लिए पहले से ही तैयार रहना चाहिए। ये दोनों अविभाज्य हैं, एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इनसे मुक्त होने के बाद ही मनुष्य अपने अंतर के पट खोल पाने में सक्षम होता है।
 
Shipping Country :
 

1. Books are available on Snapdeal.

2. You are  requested to mail on saturnpublications@gmail.com for all placed orders.

 
 
Last updated on 27-04-2024
Home :: Lord Shani :: Shani Sadhe Satti Dhaiya :: Shree Shanidham Trust :: Rashiphal :: Our Literature
Photo - Gallery :: Video Gallery :: Janam Patri :: Pooja Material :: Contact Us :: News
Disclaimer :: Terms & Condition :: Products
Visitors
© Copyright 2012 Shree Shanidham Trust, All rights reserved. Designed and Maintained by C. G. Technosoft Pvt. Ltd.