नवग्रह चालीसा
नित्य प्रति किये जाने वाले पूजा-पाठ व उपासना में नवग्रहों की प्रार्थना को भी उचित स्थान मिलना चाहिए। जो व्यक्ति संस्कृत भाषा के जानकार नहीं हैं, वे हिंदी में भी श्रद्धा सहित नवग्रहों की नित्य प्रति उपासना करके उनका अनुग्रह प्राप्त कर सकते हैं। नवग्रह चालीसा के नित्य पाठ से पाठकर्ता को हर प्रकार की ग्रह-बाधाओं से त्राण मिलता है। इस पाठ से मनोकामनाओं की पूर्ति में भी सहायता मिलती है।
कहते हैं कि स्वयं परम पिता परमात्मा ने ही नवग्रहों का स्वरूप धारण किया है ओर वही प्राणियों को उनके पूर्वकृत शुभाशुभ कर्मों का फल प्रधान करते हैं। किसी भी मनुष्य के जीवन में शनिदेव का प्रभाव सर्वाधिक समय तक रहता है किंतु इसका यह अर्थ नहीं कि शनिदेव की दशा या ढैय्या-साढ़ेसाती के दौरान मनुष्य को केवल शनिदेव ही दंडित पुरस्कृत किया करते हैं। उस दौरान भी अन्य ग्रहों की स्थितियों युतियों आदि का पूरा असर पड़ता है। अत: नित्य प्रति किये जाने वाले पूजा-पाठ व उपासना में नवग्रहों की प्रार्थना को भी उचित स्थान मिलना चािहए। जो व्यक्ति संस्कृत भाषा नहीं जानते, वे हिंदी में भी श्रद्धा सहित नवग्रहों की नित्य प्रति उपासना करके उनका अनुग्रह प्राप्त कर सकते हैं। नवग्रह चालीसा के नित्य पाठ से पाठकर्ता को हर प्रकार की ग्रह बाधाओं से छुटकारा मिलता है और उसका जीवन सुखमय व्यतीत होने लगता है। मनोवांछित फलों की प्राप्ति में भी इसका पाठ लाभप्रद है।
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