कैसे करें श्री शनिदेव को अनुकूल
अब मैं आप लोगों के समक्ष शनिदेव को अनुकूल करने के उपायों की चर्चा कर रहा हूं। जिन व्यक्तियों के बाल-बच्चों या उनके स्वयं के स्वभाव में निज पूर्वकृत अशुभ कर्मों के फलस्वरूप चिड़चिड़ापन आ जाता है, अपने जीवन-साथी साझीदार व अधिकारियों के साथ अनबन या झगड़े होने लगता है, विद्याखथयों का विद्याध्ययन में मन नहीं लगता या परीक्षा में परिश्रम के अनुकूल फल प्राप्त नहीं होता तो यह सब शनिदेव की प्रतिकूलता यानी निजपूर्वकृत अशुभ कर्मों के फल भोगने वाली स्थिति का लक्षण है। यदि व्यक्ति उन्माद, वात, गठिया, क्षय व कैंसर आदि असाध्य व दीर्घकालिक रोगों से पीड़ित हो जायें तो समझ लेना चाहिए कि जातक के अशुभ कर्मों के अनुसार उसकी जन्म-कुंडली में शनि प्रतिकूल फल प्राप्ति का संकेत कर रहे हैं। अतः उन्हें श्रद्धा से शनिदेव को अनुकूल करने का उपाय करना चाहिए। यदि शनि प्रतिकूल फल प्राप्त होने का संकेत दे रहे हांे, उसकी महादशा या अन्तर्दशा हो तो उसमें राहत पाने के लिए आप मेरे द्वारा बताये जा रहे इन उपायों का अवलंबन ले अपने जीवन को बड़ी आसानी से सुख-शांति से परिपूर्ण बना सकते हैं। याद रहे, शनिदेव के अनुकूल या प्रतिकूल होने का अर्थ यह है कि संबंधित जातक के पूर्वकृत कर्मों की वजह से उसे अनुकूलता या प्रतिकूलता का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन सबसे पहले जातकों को अपने कर्मों में सुधार लाना चाहिए। उसके बिना किसी भी प्रकार के उपाय काम नहीं करते।
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