लघु मृत्युंजय मंत्र
लघु मृत्युंजय मंत्र का पुरश्चरण कराने से वही फल प्राप्त होते हैं जो महामृत्युंजय मंत्र का पुरश्चरण कराने से प्राप्त होते हैं। महामृत्युंजय मंत्र बड़ा है किंतु उसका सवा लाख जाप से ही पुरश्चरण हो जाता है। किंतु लघु मृत्युंजय मंत्र बहुत छोटा है किंतु उसका पुरश्चरण 11 लाख जाप से होता है। इसका दशांश हवन भी अनुष्ठान का ही अंग हैं। इसे सर्व रोग निवारक अनुष्ठान बताया गया है। यदि इतना जप न हो सके तो सवा लाख जप भी किया जा सकता है। इसका दशांश हवन करने से अनुष्ठान पूरा होता है।
महामृत्युञ्जय और लघु मृत्युंजय दोनों एक ही हैं। मात्र अंतर जप संख्या का है महा मृत्युंजय पुरश्चरण सवा लाख है और लघु मृत्युंजय की 11 लाख है। यह है सरल व आसान। फल समान है।
ú जूं स:.... (उस व्यक्ति का नाम जिसके लिए अनुष्ठान हो रहा हो) पालय पालय स: जूं।
यह अनुष्ठान 11 लाख मंत्र जाप से पूरा होता है। इसका दशांश हवन भी अनुष्ठान का ही अंग है। इसे सर्व रोग निवारक अनुष्ठान बताया गया है। यदि इतना जप न हो सके तो सवा लाख जप भी किया जा कसता है। इसका दशांश हवन करने से अनुष्ठान पूरा होता है। जप-हवन के साथ निम्न यन्त्र भी हाथ में बांधना चाहिए जो प्राण-प्रतिष्ठा युक्त हो। हवन हो सके तो श्रेष्ठ, अन्यथा दशांश जप भी किया जाता है।
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