मृत संजीवन जप विधि
भगवान शिव को महामृत्युंजय भी कहा गया है। मृत संजीवन जप विधि से हर प्रकार की आधि-व्याधियों का शमन होता है। भगवान महामृत्युंजय यश और शारीरिक शक्ति की वृद्धि करने वाले हैं। उनकी अनुकंपा से हर प्रकार की प्रतिकूलताओं का शमन हो जाता है। शास्त्रोक्त विधि से मृत संजीवन जप का फल तुरंत प्राप्त हो जाता है।
जपकर्ता आचमनं प्राणायामञ्च कृत्वां।
जपकर्ता आचमन व प्राणायाम कर गणपति आदि निम्न देवताओं को प्रणाम कर हाथ में जल, अक्षत, पुष्प, फल व दक्षिणा-द्रव्य लेकर संकल्प करें।
ॐ श्रीमन्महागणाधिपतये नम:। ॐ लक्ष्मीनारायणाभ्यां नम:। ॐ उमामहेश्वाराभ्यां नम:। ॐ वाणीहिरण्यगर्भाभ्यां नम:।
ॐ शचीपुरन्दराभ्यां नम:। ॐ मातृपितृचरणकमलेभ्यो नम:।
ॐ इष्टदेवताभ्यो नम:। ॐ कुलदेवताभ्यो नम:। ॐ ग्रामदेवताभ्यो नम:। ॐ वास्तुदेवताभ्यो नम:। ॐ सर्वेभ्योग्रहेभ्यो नम:।
ॐ सवेभ्यो शक्तिभ्यो नम:। ॐ सर्वेभ्यो देवेभ्यो नम:।
ॐ सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नम:। ॐ एतत् कर्म देवताश्री महा मृत्युञ्जयाय नम:।
इति देवानां स्मरणं नमस्कारं च कृत्वा संकल्पं कुर्यात्।।
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