Product Detail
 
Saral Jyotish Pravishika
ISBN No :
Price :
भारतीय मनीषियों ने एक स्वर से वेदों को अपौरुषेय घोषित करते हुए स्पष्ट किया है कि इसके छह अंग हैं - शिक्षा, व्याकरण, निरुक्त, छंद, कल्प व ज्योतिष। इतना ही नहीं, प्राचीन ऋषि- मुनियों ने ज्योतिष को वेदों की आंख कहकर इस विद्या के महत्व को विशेष रूप से रेखांकित किया है। लेकिन जैसे-जैसे मनुष्य भौतिकतावादी आधुनिक विज्ञान के एकांगी विचारों की चपेट में आता गया, वैसे-वैसे वह अपने आभ्यंतरिक जगत से संबंधित विद्याओं को उपेक्षित छोड़ता गया। औद्यौगिक-क्रांति के नाम से यूरोप में एक ऐसे सर्वथा नवीन फलसफा का सूत्रापात हुआ जिसे आधुनिक विज्ञान कहा जाने लगा। पश्चिमी देशों में उस तथाकथित वैज्ञानिक विचारों का जो तूफान उठा, उसने भारतीय चिंतन-प्रवाह की सनातन धाारा को भी बुरी तरह झकझोर दिया। लोगों में अपने आपको वैज्ञानिक विचारों का पोषक घोषित करने की एक ऐसी होड़ मची जिसमें हर प्रकार की पुरातन उपलब्धियों व विद्याओं की खिल्ली उड़ायी जाने लगी। भारतीय ज्योतिष जैसी अति प्राचीन विद्या के साथ भी ऐसा ही कुछ किया जाने लगा। इसे लोगों को बेवकूफ बनाने वाली एक धूर्तता भरी हरकत कहकर संबोधित करने में भी तथाकथित आधुनिकतावादियों को कोई संकोच नहीं होता था। लेकिन शुक्र है, उन्मुक्त विचार धारा के पोषक उन वैज्ञानिकों का जिन्होंने लीक से हटकर इस विषय पर गंभीरता से विचार किया और समस्त प्राचीन विद्याओं को बिना जांचे-परखे बेकार घोषित करने की परिपाटी के विरोध में अड़ गये। उन्होंने नये सिरे से जब छानबीन शुरू की तो पाया कि किसी भी सिध्दांत व विचार-दर्शन को केवल पुराना होने की वजह से गलत व अनुपयोगी घोषित नहीं किया जा सकता। फलस्वरूप अब भारतीय ज्योतिष के संबंध में भी वैज्ञानिकों की पूर्व धारणा में काफी बदलाव आ गया है। यही वजह है कि तथाकथित आधुनिक विज्ञान के अंधभक्तों में भी एक वर्ग ऐसा उभर आया है जिसमें इस विषय पर नये सिरे से सोचने-समझने का दौर प्रारंभ हो गया है। भारतीय ज्योतिष के हितचिंतकों के लिए यह एक शुभ समाचार है। पिछले कुछ वर्षों से यह महसूस किया जा रहा है कि लोगों के अंदर ज्योतिष के प्रति रुझान बढ़ता जा रहा है। लोगों के अंदर ज्योतिष क्या है, यह जानने की तीव्र जिज्ञासा विकसित हो रही है जिसके समाधान के लिए अनेकानेक तरह की पुस्तकों का प्रकाशन भी हो रहा है। किंतु मैंने यह महसूस किया कि ऐसी कोई पुस्तक उपलब्धा नहीं है जो ज्योतिष के प्रारंभिक विद्यार्थियों की स्वाभाविक जिज्ञासा व उपयोगिता को ध्यान में रखकर लिखी गयी हो। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में आंतरिक इच्छा होते हुए भी लोगों के पास समय की कमी है। न तो लंबी अवधि तक वे किसी गुरुकुल का अंतेवासी शिष्य बन सकते हैं, न उनके पास मोटे-मोटे ग्रंथों को पढ़ने का समय है। कुछ आधुनिक लेखकों ने इस कमी की पूर्ति के लिए जब लेखनी उठायी तो बाजार में ज्योतिष की सतही जानकारी देने वाली सड़क छाप किताबों की बाढ़ सी आ गयी। परन्तु वे किताबें ज्योतिष सीखने के इच्छुक विद्यार्थियों की वास्तविक जिज्ञासा का शमन करने और क्रमबध्द रूप से ज्योतिष सिखाने की बारीकियों से रहित थीं। पिछले कई वर्षों से इस कमी की पूर्ति हेतु मैं विभिन्न ज्योतिष सम्मेलनों में ज्योतिष के मर्मज्ञ विद्वानों को अपनी लेखनी उठाने के लिए प्रेरणा व प्रोत्साहन देना शुरू किया। फल स्वरूप कुछ रचनाएं अवश्य प्रकाशित हुईं किंतु उनमें लेखकों के पांडित्य की जानकारी ही अधिक मिलती है। ज्योतिष की जानकारी प्राप्त करने के इच्छुक प्रारंभिक विद्यार्थियों की जिज्ञासा तो उन पुस्तकों के पांडित्य पूर्ण भाषा के बोझ में ही उलझ कर रह जाती है। अंतत: मुझे ही इस विषय को सरल सुबोध भाषा में प्रस्तुत करने के लिए कलम उठानी पड़ी आधुनिक परिवेश में पले-बढ़े लोगों की समझ के अनुरूप भाषा का प्रयोग करते हुए ज्योतिष जैसे विषय को समझाना कोई गुड़ियों का खेल नहीं। मैंने पूरा प्रयास किया है कि ज्योतिष सीखने की इच्छा वाले लोगों को ज्योतिष के प्राथमिक सोपानों की संपूर्ण जानकारी उनकी समझ के स्तर व परिवेश के अनुरूप हो। पिछले कुछ समय से मेरे द्वारा संचालित ज्योतिष कक्षाओं के विद्यार्थियों का भी काफी दबाव रहा कि मैं इस कमी की पूर्ति की दिशा में शीघ्रातिशीघ्र कोई ठोस कदम उठाऊं। अत: तरह-तरह की व्यस्तताओं के बीच में से भी कुछ समय निकालकर मैंने लिखना शुरू किया और अपनी सहयोगियों को निर्देश दिया कि वह मेरे उन व्याख्यानों की कैसेटों से भी पुस्तक के लिए सामग्री संकलित करें और जरूरत के अनुसार मेरी पुरानी पांडुलिपियों से भी उपयोगी सूत्राों, जन्मकुंडलियों व चार्टों को यथास्थान उध्दृत करने के कार्य में हाथ बटाए। उन्होंने पूर्ण मनोयोग से इस अति महत्वपूर्ण कार्य में सहयोग दिया। आशा है, 'सरल ज्योतिष प्रवेशिका' नामक यह पुस्तक अपने नाम के अनुरूप लोगों को ज्योतिष विद्या के क्षेत्रा में प्रवेश दिलाने में काफी सहयोगी सिध्द होगी। पुस्तक आपके हाथों में है, अत: इसमें प्रकाशित सामग्री के बारे में मुझे कुछ नहीं कहना है। यदि यह पुस्तक ज्योतिष के प्रारंभिक छात्राों के लिए जरा भी उपयोगी सिध्द हुई तो मैं अपना परिश्रम सार्थक समझूंगा। प्रकाशन में शीघ्रता बरतने की वजह से संभव है, इस पुस्तक में कुछ त्राुटियां रह गयी हों, जिसके लिए हमें खेद है। ज्योतिष-मर्मज्ञ विद्वत समाज से अपेक्षा है कि यदि उन्हें कोई त्राुटि नजर आये तो वे हमें यथाशीघ्र सूचित करें ताकि अगले संस्करणों में उनका परिमार्जन किया जा सके।
 
Shipping Country :
 

1. Books are available on Snapdeal.

2. You are  requested to mail on saturnpublications@gmail.com for all placed orders.

 
 
Last updated on 22-12-2024
Home :: Lord Shani :: Shani Sadhe Satti Dhaiya :: Shree Shanidham Trust :: Rashiphal :: Our Literature
Photo - Gallery :: Video Gallery :: Janam Patri :: Pooja Material :: Contact Us :: News
Disclaimer :: Terms & Condition :: Products
Visitors
© Copyright 2012 Shree Shanidham Trust, All rights reserved. Designed and Maintained by C. G. Technosoft Pvt. Ltd.