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Yeh To Ghar Hai Prem Ka
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प्रेम के घर में कोई भी व्यक्ति अहंभाव के साथ पहुंच नहीं सकता। उस घर में प्रवेश की पहली शर्त है अहंकार रहित होना। इसी बात को संत कबीर ने इस दोहे में स्पष्ट किया है - यह तो घर है प्रेम का, खाला का घर नाहीं। सीस उतारे भुईं धरो, तब पहुंचो घर माहीं॥ अर्थात प्रेम के घर में पहुंचना मौसी के घर में पहुंचने के समान नहीं है, इस घर में पहुंचने के लिए पहले सीस काट कर जमीन पर रख देना पड़ता है। यानी अहंकार को छोड़े बिना प्रेम के घर में प्रवेश नहीं मिल सकता। इस पुस्तक में प्रेम से संबंधित अनेक अनछुए पहलुओं पर प्रश्नों व उनके उत्तरों के बहाने पर्याप्त प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है। पुस्तक आपके हाथों में है। इसलिए इसके संबंध में ज्यादा कुछ कहना उपयुक्त नहीं। आशा है, पाठक इसका अनुशीलन कर खुद लाभ उठाएंगे और दूसरों को भी प्रेरित करेंगे।
 
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Last updated on 22-12-2024
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