प्रार्थना
मृत्युञ्जय महादेव त्राहि मां शरणागतम्।
जन्म मृत्यु जरा रोगै: पीडि़तं कर्म बन्धनै:।।
तावकस्त्वद्गत प्राणस्त्वच्चितोऽहं सदा मृड।।
हे मृत्युंजय महादेव, कर्मबन्धनों से बार-बार जन्म लेना मृत्यु होना, वृद्धावस्था प्राप्त करना, अनेक रोगों से पीडि़त होना आदि दु:खों से रक्षा करें। मैं आपका शरणागत हूं। हे शम्भो, मेरा प्राण और चित्त हमेशा आपमें ही लगे रहें।
चतुर्दश प्रणव संयुक्तो मन्त्रो यथा।
ॐ ह्रौं ॐ जूं ॐ : ॐ : ॐव: ॐ स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवद्र्धनम्। उव्र्वारुकमिव बन्धनान्नमृत्योम्र्मुक्षीय मामृतात् ॐ भू ॐ भुव: ॐ : ॐ जूं ॐ ॐ ।
पुराणोक्तमंत्र
मृत्युञ्जय महादेव त्राहि मां शरणागतम्।
जन्म मृत्यु जराव्याधि: पीडि़तै: कर्म बन्धनै:।।
हे मृत्युंजय, महादेव कर्मबन्धनों से बार-बार जन्म लेना, मृत्यु होना, वृद्धावस्था प्राप्त करना, अनेक रोगों से पीडि़त होना आदि दु:खों से रक्षा करें। मैं आपकी शरण में आया हूं। हे शम्भो, मेरे प्राण और चित्त हमेशा आपमें ही लगे रहें।
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