हर्षण तन्मूलसन्धौ भूतसन्तापिने नम:।
तत्कूर्पर न्यसेद्वज्र: सानन्दय नमोस्तुते ।।४१।।
‘भूत सन्तापिने नम:’ मंत्र से मूलसन्धि में ही हर्षण योग का तथा ‘आनन्दय नम:’ से कुहनियों में वज्र योग का न्यास करें।
सिद्धिं तन्मणिबन्धे च न्यसेत् कालाग्नये नम:।
व्यतिपातं कराग्रेषु न्यसेत्कालकृते नम: ।।४२।।
‘कालाग्नये नम:’ कहकर मणिबन्ध में सिद्धि योग तथा कराग्र में व्यतिपात योग की ‘कालकृते नम:’ से भावना करें।
वरीयांसं दक्षपाश्र्वसन्धौ कालात्मने नम:।
परिघं भावयेद्वामपाश्र्वसन्धौ नमोस्तु ते ।।४३।।
‘कालात्मने नम:’ मन्त्र से दक्षपाश्र्व सन्धि स्थान में वरीयान् योग की तथा वामपाश्र्वसन्धि में उसी मन्त्र से परिघ योग का न्यास करें।
न्यसेद्दक्षोरसन्धौ च शिवं वै कालसाक्षिणे।
तज्जानौ भावयेत्सिद्धिं महादेहाय ते नम: ।।४४।।
आंखों की संधि में शिव योग को ‘कालसाक्षिणे नम:’ म़न्त्र से तथा ‘महादेहाय नम:’ से घुटनों में सिद्धि योग की भावना करें।
साध्यं न्यसेच्च तद्गुल्फसन्धौ घोराय ते नम:।
न्यसेत्तदंगुलीसन्धौ शुभं रौद्राय ते नम: ।।४५।।
गुल्फ सन्धि में ‘घोराय नम:’ से साध्य की तथा अँगुलियों की सन्धि में शुभ योग की ‘रौद्राय नम:’ मंत्र से धारणा करें।
न्यसेद्वामोरुसन्धौ च शुक्लकालविदे नम:।
ब्रह्मयोगं च तज्जानौ न्यसेत्सुयोगिने नम: ।।४६।।
बायीं जांघ के जोड़ों में शुक्ल योग की ‘कालविदे नम:’ मन्त्र से तथा घुटनों में ‘सुयोगिने नम:’ मंत्र से ब्रह्म योग की धारणा करें।
ऐन्द्रं तदगुल्फसन्धौ च योगाधीशाय ते नम:।
न्यसेत्तदंगुलीसन्धौ नमो: भव्याय वैधृतिम् ।।४७।।
उसी प्रकार गुल्फ सन्धि में ‘योगाधीशाय नम:’ मन्त्र से ऐन्द्र योग की तथा अंगुलियों की संन्धि में ही वैधृति का ‘भव्याय नम:’ मन्त्र से न्यास करें।
चर्मणे बवकरणं च भावयेद्यज्वते नम:।
वालवं भावयेद्रकते नाभौ भव्याय वैधृति ।।४८।।
गयज्वते नम:’ मन्त्र से चर्म में बव करण की भावना करें तथा ‘भव्याय नम:’ से रक्त में वालव योग और नाभि में वैधृति योग की धरणा करें।
कौलवं भावयेदस्थिन नमस्ते सर्वभक्षिणे।
तैतिलं भावयेन्मांसे आममांसिप्रियाय ते ।।४९।।
‘सर्वभक्षिणे नम:’ से अस्थियों में कौलव की धारणा करें। मांस में तैतिल की ‘आममांसिप्रियाय नम:’ से भावना करें।
गर न्यसेद्वसायं च सर्वग्रासाय ते नम:।
न्यसेद्वणिकू मज्जायां सर्वान्तक! नमोस्तुते ।।५०।।
वसा में गर करण की ‘सर्वग्रासाय नम:’ से धारणा करें तथा मज्जा में वणिक् करण की ‘सर्वान्तकाय नम:’ मन्त्र से भावना करेेें।

 Previous    1   2   3   4   5     Next 
Last updated on 22-12-2024
Home :: Lord Shani :: Shani Sadhe Satti Dhaiya :: Shree Shanidham Trust :: Rashiphal :: Our Literature
Photo - Gallery :: Video Gallery :: Janam Patri :: Pooja Material :: Contact Us :: News
Disclaimer :: Terms & Condition :: Products
Visitors
© Copyright 2012 Shree Shanidham Trust, All rights reserved. Designed and Maintained by C. G. Technosoft Pvt. Ltd.